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में अकेला अपनी माँ के साथ रहता हूँ। मेरा विवाह 24 नवंबर 2003 में हुआ था। मेरी बीबी की फ़रमाइश थी कि हर महीने 10,000/- की रकम उनके घर पहुंचाई जाए और में अपना ये स्थान और अपनी माँ को छोड़ कर कानपुर जाकर अपना मकान खरीद कर उनके परिवार को अपने साथ रखूँ तब वो मेरे साथ रहने को तैयार थी। जो में किसी जनम में नहीं कर सकता। इसलिए जो भी कोई हो मुझे कोई सुख नहीं चाहिए। मेरी माँ को सुखी रखे। भले ही मेरी माँ उसे बहु मान कर बात करे पर उस लड़की को मेरी माँ की बिटिया बनकर रहना पसंद हो तो बेहतर। यदि लोकल हो तो ज्यादा बेहतर ताकि अपने भी माँ-पिता की भी देख-रेख कर सके। नौकरी या कार्य की इक्छा हो तो कर सकती है। पर उनके महिला या पुरुष दोस्त हमारे मुहल्ले तक ना पहुँचे तो बेहतर। वैसे रहने वाले आज़मगढ़ मर्यादपुर गुरुमाह गाँव के हैं हम पर जोधपुर ही हमारा मकान है जहां से कहीं नही जाना है। मेरा तलाक़ 2013 में दिल्ली सुप्रीम कोर्ट से हो चुका है। मेरे उनसे कोई बच्चे नहीं हैं एक तरफा फैंसला होने के कारण दुःखी बहुत करते हैं। बुढापे का साथी या हमसफ़र की तलाश है। इसलिए कृपया बच्चों की माएँ हमसे दूर ही रहें तो बेहतर। पढ़ाई कॉमर्स से दसवीं 1985 में की थी फिर पढ़ाई छोड़ दी। बस जीवन जीना चाहता हूँ। गृह कार्य करना, खाना बनाना, और मोबाइल और ps4 पर गेम खेलने की आदत हैं जो मरने पर छूट सकती है। अब आप लोग ही समझें मुझे कैसी लड़की चाहिए या कौन मेरे घर आना चाहेगी। घर की कमाई शून्य है। माँ की रिटायर पेंशन पर जिंदा हूँ। बाद में क्या होगा खुदा मालिक है।
About Life Partner Preferences:
लड़की कोई हो पढ़ी लिखी हो नौकरी शुदा हो लोकल हो यानी जोधपुर की हो और गृह कार्य मुझपर छोड़ दे। इज़्ज़त से रहने वाली हो अपने दोस्त चाहे स्त्री हो या पुरुष हो मुहल्ले के बाहर तक रखती हो। मेरी माँ को अपनी माँ मान कर सेवा दे तो सही। यदि साथ न निभा पाए तो आपसी सहमति से अलग होना बेहतर समझती हो तो बेहतर। लड़ाई झगड़ा नहीं पसन्द करती हो तो बेहतर। जाति-पाति कोई समश्या हमें नहीं। बच्चे वाली ना हो तो बेहतर। यदि हों तो उनका व्यवस्था उसको खुद को ही करना होगा मेरे भरोसे पर कुछ नही होगा। हाँ घर पर साँझ-सम्भाल मेरी जिम्मेदारी। और कुछ हो तो वे पूछ लें। में किसी भी लड़की को नहीं चुनूँगा ये उन लड़कियों पर या महिलाओं की समझ पर है कि उनको कैसा जीववसाथी चाहिए। या कैसे जीवनसाथी की तलाश है।